खबर जन बुलेटिन / 11/दिसंबर/2025

उत्तराखंड राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने पिथौरागढ़ के पूर्व पुलिस अधीक्षक और अब इस्तीफा दे चुके आईपीएस अधिकारी लोकेश्वर सिंह को एक नागरिक के साथ अमानवीय व्यवहार का दोषी पाया है। प्राधिकरण की जांच में यह निष्कर्ष निकला कि शिकायत लेकर पहुंचे व्यक्ति को उन्होंने अपने कार्यालय परिसर के एक कमरे में ले जाकर अपमानित किया, कपड़े उतरवाए और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। प्राधिकरण ने इस पूरे मामले में सरकार को आवश्यक विभागीय कार्रवाई प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं।

यह प्रकरण छह फरवरी 2023 का है। शिकायत आरटीआई एक्टिविस्ट और कपड़ा कारोबारी लक्ष्मी दत्त जोशी द्वारा दर्ज कराई गई थी। जोशी—जो पुलिस विभाग में कार्यरत एक सेवानिवृत्त कर्मचारी के बेटे हैं—का कहना था कि वह पुलिस लाइंस के क्वार्टरों से निकल रही गंदगी की शिकायत लेकर एसपी कार्यालय पहुंचे थे। आरोप है कि बातचीत के दौरान पूर्व एसपी उन्हें दफ्तर से सटी एक ऐसी कक्ष में ले गए जहां कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था। वहीं उनके साथ कपड़े उतरवाकर मारपीट की गई। शिकायतकर्ता का यह भी कहना है कि कुछ पुलिसकर्मियों ने भी उनसे हाथापाई की और बाद में उन्हें पिछले दरवाजे से बाहर कर दिया गया, जहां निगरानी कैमरे मौजूद नहीं थे।

मारपीट के बाद जोशी जिला अस्पताल पहुंचे और वहां कराए गए मेडिकल परीक्षण तथा एक्स-रे में उनके शरीर पर ताजा चोटों की पुष्टि हुई। यह रिपोर्ट भी प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत की गई।

प्राधिकरण ने जब अधिकारी से जवाब मांगा तो लोकेश्वर सिंह ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के बजाय शपथपत्र भेजकर अपना पक्ष रखा। उन्होंने जोशी को अपराधी प्रवृत्ति का बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं और घटना वाले दिन उन्हें वाहनों में आगजनी की एक जांच के सिलसिले में बुलाया गया था। पूर्व एसपी ने मारपीट के आरोपों से इंकार किया और पुलिस लाइंस में गंदगी वाली शिकायत को भी गलत बताया।

बाद की सुनवाइयों में भी उन्होंने लिखित जवाब ही भेजे। वहीं शिकायतकर्ता ने बताया कि उन पर दर्ज सभी मामलों में वादी पुलिसकर्मी ही रहे हैं और किसी भी मुकदमे में उन्हें सजा नहीं हुई है।

न्यायमूर्ति एनएस धानिक की अध्यक्षता वाली पीठ—जिसमें पूर्व आईपीएस अधिकारी पुष्पक ज्योति और अजय जोशी सदस्य थे—ने विस्तृत सुनवाई के बाद पाया कि शिकायतकर्ता के दावे मेडिकल रिपोर्ट से पुष्ट होते हैं और पूर्व एसपी अपने बचाव में कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके। पीठ ने माना कि आरोप गंभीर हैं और इससे पुलिस विभाग की छवि को आघात पहुंचा है।

प्राधिकरण के अनुसार उपलब्ध साक्ष्यों से यह सिद्ध होता है कि शिकायतकर्ता के साथ बंद कमरे में अनुचित और अपमानजनक व्यवहार किया गया तथा उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इसी आधार पर प्राधिकरण ने उत्तराखंड पुलिस अधिनियम के अंतर्गत उपयुक्त कार्रवाई शुरू करने का निर्देश शासन को भेजा है।

गौरतलब है कि लोकेश्वर सिंह हाल ही में पौड़ी जिले के पुलिस प्रमुख पद पर रहते हुए अक्टूबर में इस्तीफा दे चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध एक संस्था में चयन होने के बाद उन्होंने सेवा से त्यागपत्र दिया था, जिसे केंद्र सरकार ने 28 नवंबर को मंजूरी प्रदान की। वह उत्तराखंड कैडर में लगभग 11 वर्षों तक सेवाएं दे चुके हैं।